Monday, August 6, 2012

राष्ट्रीय पक्षी की इज्ज़त तार तार

अभी मानो तो कुछ ही दिन पहले की बात है। मैं अपने पितजी के साथ था और अपनी कार में था तभी वाहन एक आदमी मोर का पंख  बेच रहा था। जब मैं वहाँ देखा है कि वहाँ एक मोर के पंख  बेचने वाला है अचानक कुछ मेरे दिमाग में एक ख्याल आया।

सबसे पहली बात तोह ये थी की......क्या हमारे हिंदुस्तान का राष्ट्रीय पक्षी मोर है?

क्या आप महसूस कर सकते हैं की कैसा लगता होगा जब उस पक्षी के शरीर से ये पंख निकले जाते होंगे । वोह आ सहाए दर्द । क्या होता होगा इन  पक्षी के पंख निकलने के बाद ? ।

चलो ये इस राष्ट्रीय पक्षी से ही पूछते हैं ।
आइये लेकर चलते हैं आपको सीधे वहीँ जहाँ हमने अपने एक संवाददाता के द्वारा एक ऐसे ही पीड़ित मोर के घर का  पता लगाया और हमने उनसे बात की।

संवाददाता: नमस्कार, मोर जी आप हमे खुल के बता सकते हैं की आप पे किस प्रकार का ज़ुल्म हुआ और आपकी इज्ज़त को किसने तार तार किया ।



मोर (एक चादर से अपने  आप पे लपेटी हुई मुद्रा में):  :'-( :'-( :'-( :'-(  

संवाददाता: देखिये आप अगर इसी प्रकार रोयेंगे तो हम आपकी आवाज़ लोगो तक कैसे पहुंचाएंगे।

मोर: :'-( देखिये आप नि समझ सकते की मुझपे क्या बीत रही है। मेरी मोरनी ने भी मुझे पहचान ने से इंकार कर दिया है। रोज़ रोज़ बोले है "ले दे के एक वोह ही तो तुम्हारे पास था । और वोह भी तुम नीलाम करके आगये ।" अब कौन उसे ये बताये की ये हिंदुस्तान के लोगों ने मुझे  राष्ट्रीय दर्जा तोह दे दिया है लेकिन सिर्फ किताबों में और कहानी में। लोग मुझे देखना पसंद करते हैं मगर मेरी पंखों को घर में सजा ने  में विश्वास रखते हैं। एक बार मुझे भी पोंछ लो की मुझे क्या लगता है।

संवाददाता:  मोर जी ये बताइए की आपको इसके लिए कितने डोल्लर या रूपया मिलता है?

मोर:  :'( आपको शर्म नि आती यहाँ मेरी इज्ज़त लूट ली जाती है, बिना कुछ बताये।आपको क्या लगता है मै अपनी मर्ज़ी से जाता हूँ अपने पंखा उखडवाने। ये आदमी/इंसान  इतना गिर चूका है की इसको किसी चीज़ की परवाह नहीं है।

संवाददाता: एक और सवाल.....पलीज़ 


मोर: देखो जायदा सवाल जवाब मत करो फिर कभी पूछ लेना। अगर मेरी मोरनी को पता लगा की तुम संवाददाता मेरा इन्टरविउ लेने आये हो मुझे तलाक़ दे देगी । और तुमको भगा भगा के मारेगी।

संवाददाता: तो देखा आपने  मोर की कहानी खुद मोर की जुबानी।


मेरे पूछने पर उसका जवाब ये था ये मैंने ये वृन्दावन से लेकर आया हूँ । :-D सुन कर भी हसी आ जाती है श्री कृष्ण की नगरी से।

अगर ऐसा है तोह हमारे राष्ट्रीय पक्षी का ये अपमान है। लोग अपनी ख़ुशी के लिए खरीद भी रहे हैं। मुझे तोह सुन कर भी आजीब लगता है की लोग ऐसा कैसे करते हैं । जहाँ एक ओर अपने राष्ट्रीय के प्रति निष्ठा के शब्द बोलते हैं और दूसरी ओर अपने ही हांथो से देश का गला घोंटते हैं ।


----- लेख द्वारा

पत्रकार मतवाला 

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