मैंने पुरातत्व विभाग द्वारा दी गयी सूची में से अपनी एक नयी सूची तैयार की जहाँ जहाँ मुझे जाना था। पहले मुझे थोडा अजीब लगा की कैसा लगेगा उस जगह पर जाना जहाँ अक्सर मुझ जैसे कंप्यूटर इंजिनियर पसंद नहीं करते हैं। लेकिन कहते हैं है न जब तक कुछ नया नहीं करेंगे तब तक कुछ नया सीख भी नहीं पाएंगे। अब अगला समय था अपनी बनायीं हुई सूची के अनुसार फ़ोटोग्राफ़ी शुरू करने का।
मैंने महरौली की तंग गलियोँ से शुरुआत की आज़म खान का मकबरा और महरौली पुरातत्व पार्क की कुछ हिस्से जिसमे कुछ बाबरी भी शामिल थी। जानकारी के लिए "बाबरी" शब्द को लेके मेरे मन में अभी भी मतभेद है की इसका सही उच्चारण क्या है , कुछ लोग इसे " बबली " या "भावली " के नाम से भी जानते हैं। उसके बाद मेरा अगला मोनुमेंट था "राय पिथोरा की दीवार" जी 11ई में बनी थी। मेरे "जीपीएस" ने जो मुख्य द्वार दिखाया था दरसल वोह गलत था जिसकी वजह से मुझे करीब 3Km चलना पड़ा। और मोनुमेंट का सही स्थान न पता होने के कारण उस दिन मैं सिर्फ महरौली के हिस्सो को ही अपने कैमरे ने कैद कर पाया।
मुझे सबसे जायदा प्रभावित करने वाली बात ये थी जो मैंने नोटिस की पुरातत्व विभाग के द्वारा वहां नियुक्त गार्ड जो उन "प्रोटेक्टेड मोनुम्नेट्स" की देख रेख के लिए थे। शायद में खुश भी हुआ उनको देख के की अगर कोई मोनुमेंट्स को हानि पहुँचाने की कोशिश भी करता हौंतो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही भी हो सके। उनमे से कुछ जगह को तो देख के मैं मनो खो सा गया।
जिस दिन मैंने "राय पिथोरा की दीवार" की फोटोग्राफी के लिए गया उस दिन से मनो मेरे अन्दर कुछ और उत्सुकता थी क्यूंकि जब मुझे पता चला ये 11ई में बनी थी शायद उस से भी पहले की मेरे अन्दर एक सवाल था, इस से पहले दिल्ली में कौन राज करता था? किसने बनायीं ये दीवार ?
"राय पिथोरा की दीवार" अपने आप में एक अद्भुत उदाहरण है उस समय के लोगो भी बुद्धिमता और परिश्रम का जो आज भी वह मौजूद हैं। उस दिन के बाद मेरी रूचि भारत के इतिहास को जान ने में बढ़ गयी। मैंने अपने स्कूल के दिनो में सबसे जायदा नफरत सिर्फ HISTORY शब्द से करता था और इतिहास की अध्यापक तोह मेरी सबसे बड़ी दुश्मन के समान थी। शायद अब सब कुछ विपरीत हो गया जिसका श्येर मैं विकििमेडिया की इस प्रतियोगिता को दूंगा।
मेरी सबसे मनपसंद फोटोग्राफी सत्र बेगमपुर मस्जिद का था। मुझे शायद अभी भी याद है। लेकिन समय के आभाव के कारण और इन्टरनेट के खराबी के कारण मैं बेगमपुर मस्जिद के फोटोग्राफ्स समय रहते अपलोड नहीं कर पाया था। लेकिन उन यादों को मैं भुला नहीं सकता। शयद इस प्रतियोगिता के कारण मेरे अपने निजी जीवन में परिवर्तन हुए और शायद मैं उन से खुश भी हूँ। जिसके लिए मैं विकिमीडिया फाउंडेशन और विकिपीडिया को धन्यवाद् देता हूँ की मैं उनके मंच के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ा सकता हूँ साथ ही साथ शेयर भी कर सकता हूँ।
इस ब्लॉग के हिंदी में लिखने का करण सिर्फ ये है ताकि मैं काफी लोगोँ मैं इसे शेयर कर सकूँ, यदि आपको किसी प्रकार की त्रुटी मिले तो कृपया मुझे मेल करें।
Sheel Sindhu Manohar
http://en.wikipedia.org/wiki/User:Roboture
MAIL ID : tuxophilia@gmail.com
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"राय पिथोरा की दीवार" अपने आप में एक अद्भुत उदाहरण है उस समय के लोगो भी बुद्धिमता और परिश्रम का जो आज भी वह मौजूद हैं। उस दिन के बाद मेरी रूचि भारत के इतिहास को जान ने में बढ़ गयी। मैंने अपने स्कूल के दिनो में सबसे जायदा नफरत सिर्फ HISTORY शब्द से करता था और इतिहास की अध्यापक तोह मेरी सबसे बड़ी दुश्मन के समान थी। शायद अब सब कुछ विपरीत हो गया जिसका श्येर मैं विकििमेडिया की इस प्रतियोगिता को दूंगा।
मेरी सबसे मनपसंद फोटोग्राफी सत्र बेगमपुर मस्जिद का था। मुझे शायद अभी भी याद है। लेकिन समय के आभाव के कारण और इन्टरनेट के खराबी के कारण मैं बेगमपुर मस्जिद के फोटोग्राफ्स समय रहते अपलोड नहीं कर पाया था। लेकिन उन यादों को मैं भुला नहीं सकता। शयद इस प्रतियोगिता के कारण मेरे अपने निजी जीवन में परिवर्तन हुए और शायद मैं उन से खुश भी हूँ। जिसके लिए मैं विकिमीडिया फाउंडेशन और विकिपीडिया को धन्यवाद् देता हूँ की मैं उनके मंच के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ा सकता हूँ साथ ही साथ शेयर भी कर सकता हूँ।
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